बाल श्रम गीत
बाल श्रम गीत
तर्ज- कहे के त सब केहू आपन ......
बचपन के बाली उमरिया, परी गइली भारी विपतिया
बाबूजी त भइलन कठोर हो, ममता लुटावे वाला के बा।
डेग-डेग ठोकर लागे, चली जब डगरिया
कुछ नाही सुझेला, रात बा अन्हरिया ।
ममता के दियना बुझइलें, दियना जरावे वाला
के बा ।
पेट के करनवां करी मजदूरी, तबहूं त केहू ना बुझेला मजबूरी ।
हाथ-पांव छाला परे , बहे लोरवा क धार हो .....
मरहम लगावे वाला के बा।
हाय रे विधाता तोहरी फटली न छतिया, बालपन में देई दिहल अईसन विपतिया ।
जिनगी में भरल अन्हरिया, रहिया देखावे वाला के बा...
बाबूजी त भइलें कठोर हो, ममता लुटावे वाला के बा।।
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राधिका (शिक्षामित्र)
प्रा●वि● दोर्म्हा
ब्लाक-गोला
जनपद-गोरखपुर
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