मां का गुणानुवाद
मां - वचनों के पालन से होता जीवन ललाम
मां के नव रूपों को जानें हम,
आज्ञा में रह आशीष पावें हम।
प्रथम रूप शैलपुत्री मां,
पर्वत जैसी शक्तिशाली मां,
शेर पे बैठ शत्रु संहारती,
नारी गरिमा दर्शाती मां।
द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी मां,
ब्रह्मचर्य का महत्व बताती मां,
सहज कार्य करती उसके,
ब्रह्मदिशा दिखलाती मां।
तृतीय रूप चंद्रघंटा मां,
सिंहनाद जब करती मां,
असुर कांपें,बुराईयां टापें,
निश्छल पुकार सुन आती मां।
चतुर्थ रूप है कूष्मांडा मां,
ब्रह्मांड रचना दिखलाती मां,
शस्त्र -शास्त्र का समन्वय उसमें,
योगी बनो ,कह मुस्काती मां।
पंचम रूप स्कंदमाता मां,
देती संदेश वीरता का मां,
कमलासन पर आती मां,
मन को सुमन बनाती मां।
षष्ठ रूप कात्यायनी मां,
हर आशा पूरी करती मां,
मां वचनों का पालन करता,
उसके समीप आ जाती मां।
सप्तम रूप कालरात्रि मां,
कालिमा हर लालिमा लाती मां,
यम-नियम अनुपालन करता ,
उसको अभय बनाती मां।
अष्ठम् रूप महागौरी मां,
सर्वकला कल्याणी मां,
ऊर्जावान बनाकर सबको,
उनका परिपालन करती मां।
नवम रूप सिद्धिदात्री मां,
साधकों को साधन देती मां,
श्रेय सम्पदा ऊर्जा देकर,
उनका ऐश्वर्य बढ़ाती मां।।
✍️
प्रतिभा भारद्वाज (स.अ.)
पू०मा०वि० वीरपुरछबीलगढी
जवां
जनपद-अलीगढ़
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