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हेडमास्टर की शक्ति

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हेडमास्टर की शक्ति


हाईकोर्ट ने कहा, हेडमास्टर की शक्ति
प्रधानमंत्री से भी ज्यादा है
विंस्टन चर्चिल ने भी कहा था
यह बात, अब तो हम सब जानते हैं

पर सच तो यह है, हकीकत में
शिक्षक की कोई हैसियत नहीं है
जिम्मेदारों के पास उसके लिए
कोई भी योजना नहीं है

शिक्षकों की सैलरी कम है
उनके लिए कोई सुविधा नहीं है
उनका मान-सम्मान भी नहीं है
और उन्हें कोई अधिकार भी नहीं है

शिक्षकों के पास बच्चों के जरिए
बदलाव का सिर्फ एक हथियार है
वे उनको शिक्षित कर सकते हैं
और उन्हें एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं

पर इस हथियार का भी इस्तेमाल
सरकार और समाज कर रहा है
शिक्षकों को अपने हित में इस्तेमाल
कर रही है, और उन्हें दबा रही है

आज शिक्षकों की आवाज नहीं सुनाई देती
क्योंकि वे दबे हुए हैं
वे अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ सकते
क्योंकि उन्हें डर है


पर एक दिन ऐसा आएगा
जब शिक्षक अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे
और तब वे समाज में अपनी सही जगह पाएंगे
और तब देश बदलेगा।



✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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