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पहचान के मोहताज शिक्षक का दर्द


स्कूल में पढ़ाना मेरा पेशा है,
मेरा जुनून है,
बच्चों को पढ़ाना और उन्हें शिक्षित करना,
मेरी ख्वाहिश है।


लेकिन मैं पहचान का मोहताज हूं,
मैं लाइमलाइट में रहना चाहता हूं,
ताकि लोग मेरी कद्र करें,
ताकि मुझे भी सम्मान मिले।


मैं जानता हूं कि यह गलत है,
लेकिन मैं क्या करूं,
समाज की मानसिकता है,
मुझे इस तरह सोचने पर मजबूर करती है।


स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक,
हमेशा पहचान के मोहताज रहते हैं,
जबकि मंचों में दिखने शिक्षक,
हमेशा लाइमलाइट में रहते हैं।


बहुत ही दुखद स्थिति है,
लेकिन मैं क्या करूं,
समाज की मानसिकता है,
जिसे बदलना बहुत मुश्किल है।



✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"

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