एक बच्चे का नाम था आदर्श
एक बच्चे का नाम था आदर्श,
उसके मां-बाप ने उसे दिया था यह नाम।
आदर्श का मतलब होता है,
नैतिक और आदर्शों वाला।
आदर्श बचपन से ही अच्छा लड़का था,
उसने हमेशा अपने मां-बाप की बात मानी।
लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया,
उसके अंदर भी कुछ बदलाव आने लगे।
वह कभी-कभी गलती कर बैठता था,
और उसके मां-बाप उसे डांटते थे।
आदर्श को यह बात बहुत बुरी लगती थी,
क्योंकि उसे लगता था कि वह आदर्श नहीं है।
एक दिन आदर्श अपने मां-बाप से बोला,
"मैं आपसे नाराज हूं।"
आदर्श के मां-बाप ने उसे पूछा,
"क्यों नाराज हो?"
आदर्श ने कहा, "आपने मुझे आदर्श नाम दिया है,
लेकिन मैं आदर्श नहीं हूं।"
आदर्श के मां-बाप ने कहा,
"आदर्श नाम एक उम्मीद है,
हम चाहते हैं कि तुम हमेशा अच्छा बनो।"
आदर्श ने कहा, "मैं भी अच्छा बनना चाहता हूं,
लेकिन मैं हमेशा अच्छा नहीं हो पाता हूं।"
आदर्श के मां-बाप ने उसे समझाया,
"हर कोई इंसान है,
हम सब से गलती होती है।
"लेकिन गलती से सीखना और सुधार करना भी जरूरी है।
तुम हमेशा अच्छा बनने की कोशिश करो,
एक दिन तुम जरूर आदर्श बन जाओगे।"
आदर्श को अपने मां-बाप की बात समझ आ गई,
उसने उनसे माफी मांगी।
आदर्श ने ठान लिया कि वह हमेशा अच्छा बनने की कोशिश करेगा,
और वह आदर्श नाम के लिए भी लायक बनेगा।
✍️ प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
कोई टिप्पणी नहीं