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खुद की बात को माना कर


खुद की बात को माना कर
अपने को पहचाना कर
बच्चा है तू अपनों का
नहीं किसी के सपनों का 


अपने को पहचाना कर
बढ़ आगे रस्ता चुनकर
अपने सपनों को पूराकर
तू दुनिया को दिखला दे


खुद की बात को माना कर
अपने को पहचाना कर
बच्चा है तू अपनों का
नहीं किसी के सपनों का 


दुनिया की बातों में फंसकर मत
अपने रास्ते से भटक जाना मत
अपने पर विश्वास तू रखना
और आगे तू बढ़ते जाना


खुद की बात को माना कर
अपने को पहचाना कर
बच्चा है तू अपनों का
नहीं किसी के सपनों का 


तू ही तो है अपना मालिक
है अपने फैसले का मालिक
है अपनी किस्मत का मालिक
तू फिर खुद क्यों डरता है?


खुद की बात को माना कर
अपने को पहचाना कर
बच्चा है तू अपनों का
नहीं किसी के सपनों का



✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"


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