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शिक्षकों की व्यथा


शिक्षकों पर भारी है बोझ,
कौन सुनेगा उनकी फरियाद?

सुझावों का अंबार है,
पर कोई नहीं जानता,

उनके हालात का आलम,
कितना है उनका दबाव?

शिक्षकों को चाहिए मेटाकॉग्निशन,
पर कहाँ है वो जगह?


जब हर तरफ से दबाव है,
तो कहाँ है सोचने की जगह?

कम करना होगा दबाव,
तो ही होगा विकास,

शिक्षकों को देना होगा सम्मान,
तभी होगा राष्ट्र का विकास।



मेटाकॉग्निशन (Metacognition) का अर्थ
स्वयं के सीखने का मूल्यांकन करने की क्षमता


✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"


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