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शिक्षक बोले – मुझे माफ करना मेरे बच्चों!

मुझे माफ करना मेरे बच्चों! 



मेरे बच्चों मुझे माफ़ करो,
मैं तुम्हारे साथ न्याय नहीं कर पाया।
तुम मेरे सपने थे,
मैं तुम्हारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।


मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ किया,
पर तुम्हारे लिए पढ़ाना वरीयता नहीं रह पाया।
मैंने तुम्हारे लिए अतिरिक्त गतिविधियाँ की,
पर तुम्हारे लिए कक्षा में समय नहीं निकाल पाया।


मैं तुम्हारी चिंता करता था,
तुम्हारी भविष्य की चिंता करता था।
मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा भविष्य बनाना चाहता था,
पर तुम्हारे लिए वर्तमान पर ध्यान नहीं दे पाया।


मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा शिक्षक बनना चाहता था,
पर तुम्हारे लिए एक अच्छा इंसान बनना भूल गया।


मुझे माफ़ करो मेरे बच्चों,
मैं तुम्हारे साथ न्याय नहीं कर पाया।



यह कविता उन शिक्षकों की व्यथा कथा को बयान करती है, जो अपने छात्रों के लिए सब कुछ करते हैं, पर कक्षा में पढ़ाना उनका प्राथमिक दायित्व ही संकट में आ जाता है। ऐसे शिक्षकों को अपने छात्रों के साथ न्याय नहीं करने का डर सताता रहता है। वे चाहते हैं कि वे अपने छात्रों को अच्छी शिक्षा दें, पर अन्य दायित्वों के बोझ तले वे ऐसा नहीं कर पाते।

कविता में शिक्षक अपने छात्रों से माफी मांगता है कि वह उनके साथ न्याय नहीं कर पाया। वह उन्हें बताता है कि वह उनके लिए सब कुछ करना चाहता था, पर अन्य जिम्मेदारियों के चलते वह ऐसा नहीं कर पाया। वह अपने छात्रों से यह भी कहता है कि वह उनके लिए एक अच्छा शिक्षक बनना चाहता था, पर वह नहीं बन पाया। 

कविता एक गंभीर विषय को उठाती है। यह बताती है कि शिक्षकों पर इतना बोझ न डाला जाए कि वे अपने मूल दायित्वों से भी भटक जाएं। शिक्षकों का मूल दायित्व पढ़ाना है, और उन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय और संसाधन दिए जाने चाहिए।



✍️ संकल्पना और लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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