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EMI के चक्कर में

ईएमआई  के चक्कर में


ईएमआई के चक्कर में,
फंसा है मध्यवर्ग,
घर, कार, मोबाइल,
सब पर है कर्ज।

तनख्वाह कम, खर्चे ज्यादा,
ईएमआई भरने में,
पसीने छूट जाते हैं,
आँखों में आ जाते हैं आँसू।

पढ़ाई लिखाई, शादी, बच्चों की परवरिश,
सब पर है ईएमआई,
जीवन में कोई सुकून नहीं,
है बस डर और चिंता।

ईएमआई के बोझ तले,
दबता जा रहा है मध्यवर्ग,
घर, कार, मोबाइल,
सब पर है कर्ज।

ईएमआई के चक्कर में,
मध्यवर्ग का जीवन,
बदला-बदला सा दिखता है,
आँखें हैं थकी-थकी सी,
चेहरे पर है चिंता की रेखा,

तनख्वाह कम है,
खर्चा बहुत है,
ईएमआई भरने में,
बचा कुछ नहीं है,

घर में है कर्ज,
कार पर है कर्ज,
मोबाइल पर है कर्ज,
पढ़ाई पर है कर्ज,
शादी पर है कर्ज,
बच्चों की परवरिश पर है कर्ज,

ईएमआई के बोझ तले,
मध्यवर्ग के लोग,
जी रहे हैं एक भयावह जीवन,
जहाँ है बस डर और चिंता,

सरकार को चाहिए,
इस पर ध्यान देना,
और ईएमआई के बोझ को,
मध्यवर्ग से कम करना।


✍️  प्रयासकर्ता :  प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"



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