पेंसिल
पेंसिल तुम हो स्याही का साथी,
लिखने का साधन,
जिंदगी के पन्नों पर,
लिखते हो भावनाओं का अंश।
तेरी नोंक से निकलती है,
एक काली रेखा,
जो बन जाती है,
एक शब्द, एक वाक्य,
एक कहानी।
तुम हो जिंदगी का लेखा,
जो लिखा जाता है,
एक-एक पल,
एक-एक घटना के साथ।
तुम हो भूल को मिटाने का,
एकमात्र सहारा,
तुमसे ही लिखा जाता है,
एक नया सफर।
पेंसिल तुम हो,
एक अनमोल उपहार,
जो हमें देता है,
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर।
✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
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