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शिक्षक की कठिनाइयाँ



शिक्षक है वह दीप चमकता,
जगमग है जिससे जन मन,
किंतु ज़मीनी मुश्किलें
त्रस्त करें उसका जीवन।


नव पीढ़ी शिक्षित करना
गढ़ना उनका कल तराश,
शिक्षक का चिर दायित्व यही,
कोशिश करता कुछ करूं सही,
किंतु ज़मीनी मुश्किलें,
करती हैं उसको हताश।


वेतन कम, कम नहीं साधना,
भयभीत नहीं कर्तव्य से।
दृष्टांत रचे कितने यहाँ, 
ये सिद्ध कार्य दृष्टव्य से


दिन-रैन परिश्रम की डगर,
शिक्षार्थ बच्चों के आस-पास।
पर ज़मीनी मुश्किलें,
करती हैं उसको उदास।


शिक्षक को आशा यही,
कठिनाइयों से पायेगा पार,
कर शिक्षित अपने नौनिहाल, 
भविष्य बेहतर होगा अपार।



✍️  प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी दुनाली फतेहपुरी 

👏  मार्गदर्शन : श्री निर्दोष दीक्षित

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