Breaking News

सोशल मीडिया में टहलते रहना और मौन रहना : एक कला




सोशल मीडिया में टहलते रहना,
और मौन रहना।

यह एक ऐसी कला है,
जो हर कोई नहीं जानता।

यहाँ हर कोई कुछ न कुछ बोलता है,
अपनी राय रखता है।

लेकिन मैं मौन हूँ,
क्योंकि मैं जानता हूँ।

कि मेरी राय किसी को नहीं बदलेगी,
और मैं किसी को खुश नहीं कर पाऊँगा।

इसलिए मैं चुप हूँ,
और सिर्फ सुनता हूँ।


यहाँ हर कोई कुछ न कुछ बोलता है,
लेकिन मैं सुनता हूँ।

मैं सुनता हूँ उनकी राय,
उनके विचार।

मैं सुनता हूँ उनकी खुशियाँ,
उनकी उदासी।

मैं सुनता हूँ उनकी सफलताएँ,
उनकी असफलताएँ।

मैं सुनता हूँ सब कुछ,
और सीखता हूँ।

मैं सीखता हूँ कि कैसे रहना है,
इस दुनिया में।

मैं सीखता हूँ कि कैसे प्यार करना है,
और कैसे नफरत करना है।

मैं सीखता हूँ कि कैसे जीना है,
और कैसे मरना है।

सोशल मीडिया में टहलते रहना,
और मौन रहना।

यह एक ऐसी कला है,
जो हर कोई नहीं जानता।

लेकिन मैं जानता हूँ,
और मैं इसे सीख रहा हूँ।



✍️  प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी" 




कोई टिप्पणी नहीं