प्रेम और परिश्रम
प्रेम और परिश्रम, दो ही सूत्र हैं,
जिससे बनती है दुनिया।
प्रेम से सब जुड़ता है,
परिश्रम से सब बढ़ता है।
प्रेम से सबकी ज़िंदगी,
होती है सुखद और खुशहाल।
परिश्रम से सबके सपने,
होते हैं साकार।
प्रेम से सबके दिलों,
में भर जाती है उमंग।
परिश्रम से सबके हाथों,
में आती है सफलता।
प्रेम से दुनिया में,
होती है शांति और भाईचारा।
परिश्रम से दुनिया में,
होती है प्रगति और विकास।
प्रेम और परिश्रम,
दो ही सूत्र हैं,
जिससे बनती है दुनिया।
✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
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