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आखिर क्यों

आखिर क्यों 

बातें हैं बड़ी बड़ी नारी के सम्मान की।
बातें हैं बड़ी बड़ी नारी के अधिकार की।।

बदल गया है चक्र समय का।
पर नही बदला है वर्चस्व नारी का।।

नही है नारी का अपना कोई अस्तित्व।
हर परिस्थिति मे ढलना ही है उसका व्यकित्व।।

बातें हैं बड़ी बड़ी.......

कुछ नियम बने हैं ऐसे नारी के।
जो बनाते हैं उसके जीने के तरीके।।

खत्म हो जाते हैं वहीं बराबरी के अधिकार।
रह जाता है तो सिर्फ सहनशीलता का अधिकार।।

बातें हैं बड़ी बड़ी.........

एहसास कुछ ऐसा कराया जाता है।
नारी होना एक भूल सा बताया जाता है।।

इच्छाओं को त्यागकर मुस्कुराने को संस्कार नाम दिया जाता है।
फिर कैसे नारी को समान अधिकार दिया जाता है।।

बातें हैं बड़ी बड़ी...............


✍️रचयिता
हेमलता यादव(स० अ०)
प्रा०वि० बेतीसादात,
शि०क्षे०- भिटौरा
जनपद- फतेहपुर

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे समाज में सफल सभ्रांत पुरुष भी अपने जीवन

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  2. हमारे समाज में सफल सभ्रांत पुरुष भी अपने जीवन संगिनी का चुनाव धन लेकर कर रहे हैं, जिसके साथ जन्मों तक साथ निभाने का दम्भ भरते हैं, स्त्रियों के समाज में अपने अधिकार छीनने होंगे।

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