आई कान्ट ब्रीद
आई कान्ट ब्रीद
--------------------------
तुमने सुना
हां !
जोर से आवाज़ दो
यदि
नहीं तो तुम भी शामिल हो
मेरी हत्या में
आवाज़ नहीं आई तुम्हारी
मै
डूबता जा रहा हूं
दम घुट रहा है मेरा
मुझे
डर लगता है अकेलेपन से
क्लस्टेरोफोबिया है, तुम समझते हो !
मै सांस
नहीं ले पा रहा हूं
आई कान्ट ब्रीद..
यह केवल रंग - भेद का मसला नहीं
मसला है
हर उस आखरी इंसान का
जो आज भी
टकटकी लगाए हैं
लड़ रहा है
अपने ही हिस्से की रोटी के लिए...
✍️
राजीव कुमार
कोई टिप्पणी नहीं