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एहसास

एहसास

होता है यह एहसास मुझे
   हर दिन कुछ नया करूँ मैं।
,सुबह सबेरे प्रथम किरण में,
    खगकुल का गान सुनूँ मैं।

आती है चिड़िया प्रतिदिन
   मेरे घर के नित आंगन में
होता है कुछ विश्वास मुझे
     कोयल बोलेगी सावन में

चिड़ियों का कलरव मीठा
   होता जब मेरे आंगन में
होता है फिर एहसास मुझे
   दाना दूँ उनको आँगन में।

साथ संग में मिलकर खेलूँ,
     मित्र बनाऊँ चिड़ियों को।
होता है ये एहसास मुझे
       महका दूँ मैं कलियों को।

मेरे मन का एहसास मुझे,
   आनंद बना घिर आता है।
हो जाता विश्वास मुझे फिर,
    कोई शक्ति मुझे दे जाता है।

कहता है ये मेरा एहसास
     छोड़ो ये मन की उलझन।
प्रभु ही है सबका रक्षक,
       कर दो मन उसको अर्पण।।

      
  ✍️रचयिता
श्रेया द्विवेदी
प्राथमिक विद्यालय देवीगंज प्रथम कड़ा
कौशांबी

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