किताबें
किताबें
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क्यों पढ़ते हैं हम
किताबें
क्या है किताबों में
कभी
पढ़ते हुए सोंचा
नहीं ना
बस
यूं ही उठा ली
विज्ञान
या गणित की
इतिहास, भूगोल, या कोई और
शायद नंबर के
भय से
या अकेलेपन
से बचने के लिए कोई
कविता या कहानी की किताब
या चमकदार , रंगीन
आवरण
और
आड़ी - तिरछी
पसरी रेखाओं में उभरते
चित्रों को देख
यही ना
पर नहीं,
किताबों को
देखने- परखने
उसे
महसूस करने में
हम
अक्सर यह भूल जाते हैं कि
किताबें
और उनमें
दर्ज हर अफ़सानों में
कोई और
नहीं , हम ही होते हैं
तभी हम
ढूंढ ही लेते हैं
उनमें अपने जैसा कोई
किरदार जो
हमारे साथ- साथ चलता रहता है
ताउम्र
हमसाया बनकर
जो हमें
हमारी जिम्मेदारियों से
न केवल
परिचय कराता है बल्कि
कुशन का भी काम करता है
क्योंकि
हमारी हर मुश्किलों, सवालातों के जबाव
हमें
किताबों में ही मिलते हैं..
✍️
राजीव कुमार
पू.मा.वि. हाफ़िज़ नगर
क्षेत्र - भटहट
जनपद - गोरखपुर
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