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दगाबाज़ पड़ोसी

दगाबाज़ पड़ोसी

दगाबाज़ रे...हाय दगाबाज़ रे 
पड़ोसी चीन दगाबाज रे

कभी लगे ... कभी लगे  हाय
कभी लगे गले ये गोली मारे देखो आज  रे 
दगाबाज रे हाय दगाबाज रे
है पड़ोसी बड़ा दगाबाज़ रे
दगाबाज़ दगाबाज़ दगाबाज़ रे

गलवान घाटी है भारत की माटी
न इसपे गड़ाओ अखियां - 2
आज का भारत बासठ का नाही
हम जाने तेरी गुस्ताखियां।।
दो के बदले हम तेरे चार लेलें
देश के लिए अपनी जान देदें

कभी लगे ... कभी लगे  हाय
कभी लगे गले ये गोली मारे देखो आज  रे
दगाबाज़ रे........।। 

सबसे ऊंची पट्टी लद्दाख में बसती
हमारी  सेना नजर रखे  - 2
हरकत तुम्हारी सब धोखेबाजी 
यह सब भी हम याद रखें।।
डीएसडीबीओ  रोड बड़े काम की 
किरकिरी है यह चीन के आंख की 

कभी लगे ... कभी लगे  हाय
कभी लगे गले ये गोली मारे देखो आज  रे 
दगाबाज़ रे......।।

रचनाकार- 
सुधांशु श्रीवास्तव (स० अ०)
 विद्यालय मणिपुर
ऐरायां ,फतेहपुर

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