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वह शिक्षक कहलाता है

वह शिक्षक कहलाता है


जीवन के इस रंगमंच पर एक किरदार बनाता है।
जीवन में मूल्यों को समझा कर जीवन उपहार बनाता है।
एक साधारण से मानव को वह इंसान बनाता है।
वह शिक्षक कहलाता है ,वह शिक्षक कहलाता है।

शिक्षा की एक ज्योति जलाकर प्रतिभा विस्तार कराता है
आशाओं के बादल से वह नव उत्साह जगाता है।
जीवन के इस रंग मंच पर एक किरदार बनाता है
जीवन मूल्यों को समझा कर जीवन उपहार बनाता है।
वह शिक्षक कहलाता है, वह शिक्षक कहलाता है।

कुछ कठोर कुछ सुगम तरीके शिक्षा में अपनाता है
जीवन मूल्यों को समझा कर जीवन उपहार बनाता है।
ऐसे ही कदमों पर चला कर भारत को निपुण बनाता है।
वह शिक्षक कहलाता है वह शिक्षक कहलाता है।


शिक्षक का ज्ञान सफल है तभी जब वह अपना कर्तव्य निभाता है
आदर्शों और नैतिकता की पृष्ठि भूमि समझाता है। 
जीवन के इस रंगमंच पर एक किरदार निभाता है।
वह शिक्षक कहलाता है ,वह शिक्षक कहलाता है।

आडी टेढ़ी रेखाओं से अक्षर फिर शब्द बनाता है।
बाल सुलभ मुस्कान से जब बच्चों में बच्चा बन जाता है।
कभी डपटकर कभी समझ कर शिक्षण को सफल बनाता है।
जीवन के इस रंगमंच पर एक किरदार निभाता है
वह शिक्षक कहलाता है वह शिक्षक कहलाता है।


✍️ रचनाकार : अलका खरे
 कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रेव,
मोंठ, झांसी

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