भाव ही कविता है
भाव ही कविता है
कविता क्या है, यह पूछोगे तुम,
मैं कहूंगा, है यह भावों का समुंदर।
उतरते हैं दिल की गहराइयों से,
और बहते हैं शब्दों के रूप में।
कविता में कला हो या न हो,
लेकिन भाव होना चाहिए।
भाव ही कविता की आत्मा है,
और कला सिर्फ उसका शरीर।
भाव ही कविता को जीवंत बनाता है,
और उसे पाठकों तक पहुंचाता है।
भाव ही है जो पाठकों के दिलों को छूता है,
और उन्हें सोचने पर मजबूर करता है।
तुम भी भावों को शब्दों में उतार सकते हो,
तो तुम भी कवि हो सकते हो।
कविता लिखने के लिए कला की जरूरत नहीं,
बस ज़रूरी है कि तुम्हारे पास भाव हों।
भाव ही कविता है, कविताचार्य जी!
यह बात हमेशा याद रखना।
✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
कोई टिप्पणी नहीं