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सुशासन

सुशासन


सुशासन है विकास का आधार,
यह है जनता की आशा।
भ्रष्टाचार से बचाता है,
और खुशहाली लाता है।


जवाबदेही है इसकी कसौटी,
पारदर्शिता है इसकी पहचान।
समानता है इसका मूल मंत्र,
विकास है इसका दर्शन।


सुशासन है लोकतंत्र की आत्मा,
इसके बिना देश नहीं चल सकता।
न्याय और समानता है इसका लक्ष्य,
इसके बिना समाज नहीं रह सकता।


आओ मिलकर प्रयास करें,
सुशासन को बनाएँ।
एक स्वस्थ और समृद्ध समाज,
बनाएँ सब मिलकर।


यह कविता सुशासन के महत्व को व्यक्त करती है। यह कहती है कि सुशासन विकास का आधार है, भ्रष्टाचार से बचाता है, और खुशहाली लाता है। सुशासन के लिए जवाबदेही, पारदर्शिता, समानता, और विकास आवश्यक हैं। सुशासन लोकतंत्र की आत्मा है, और इसके बिना देश और समाज नहीं चल सकता।

यह कविता हमें सुशासन के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें बताती है कि सुशासन एक स्वस्थ और समृद्ध समाज बनाने के लिए आवश्यक है।



✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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