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इतिहास की गति

इतिहास की गति


इतिहास की गति को भांपना,
कठिन है यह बात हमने समझी है

वर्तमान का विश्लेषण करते,
हमने भविष्यवाणी भी की है

लेकिन इतिहास की गति,
हमारे सामने से निकल गई है

हमारे विश्लेषण,
हमारे निर्णय,
हमारे अनुमान,
सब झूठे पड़ गए हैं

हम अवाक्,
हम अंतर्मुख,
हम निहत्थे,
रह गए हैं

इतिहास की गति,
अपनी ही चाल पर चलती है

हम उसमें केवल एक क्षण हैं,
जो कहीं खो जाता है



इस रचना में, कवि इतिहास की गति की अप्रत्याशितता पर विचार करता है। वह कहता है कि हम अक्सर वर्तमान का विश्लेषण करते हैं और भविष्यवाणियां करते हैं, लेकिन अक्सर वे गलत साबित होती हैं। इतिहास की गति हमारी समझ से परे है, और यह अक्सर हमारे अनुमानों को धता बता देती है। कवि कहता है कि इतिहास की गति में, हम केवल एक क्षण हैं। हम उसमें केवल एक छोटी सी भूमिका निभाते हैं, और फिर हम भूल जाते हैं।

यह एक दार्शनिक रचना है। यह हमें यह सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है कि हम इतिहास को कैसे समझते हैं, और यह हमें यह भी याद दिलाती है कि हम भ्रम भले पाल लें लेकिन इतिहास में हम केवल एक छोटी सी भूमिका निभाते हैं।


✍️  रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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