अमीरी और गरीबी
अमीरी और गरीबी
अमीरी और गरीबी, दो अलग-अलग पल हैं,
एक में सुख-समृद्धि, दूसरे में दुख-कष्ट हैं।
अमीरी में ठाठ-बाट, गरीबी में कंगाली,
एक में खुशियां, दूसरे में गम की झड़ी।
अमीरी में आराम, गरीबी में तपिश,
एक में चैन, दूसरे में अशांति।
अमीरी में सुख, गरीबी में दर्द,
एक में उल्लास, दूसरे में गम का अंधेरा।
पर क्या है सच, कौन है बेहतर,
यह तो इंसान पर निर्भर है, उसकी सोच पर।
कविता में अमीरी और गरीबी की तुलना की गई है। अमीरी को सुख-समृद्धि और गरीबी को दुख-कष्ट का पर्याय बताया गया है। अमीरी में ठाठ-बाट, आराम और सुख होता है, जबकि गरीबी में कंगाली, तपिश और दर्द होता है।
पर क्या है सच, कौन है बेहतर, यह तो इंसान पर निर्भर है। अगर इंसान का मन धन-संपत्ति से भरपूर है, तो वह गरीबी में भी खुश रह सकता है। और अगर इंसान का मन धन-संपत्ति से खाली है, तो वह अमीरी में भी दुखी रह सकता है।
अमीरी और गरीबी दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कोई भी इनमें से एक को चुनकर अपने जीवन को बेहतर बना सकता है।
✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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