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जनतंत्र के रण का योद्धा जेपी

जनतंत्र के रण का योद्धा जेपी


जनतंत्र के रण में,
एक योद्धा थे आप,
जनता के अधिकारों के लिए,
लड़ते रहे आप।


सिंहासन खाली करो,
जनता आती है,
का नारा दिया आपने,
देश को हिला दिया आपने।


संपूर्ण क्रांति का नारा,
देकर जागृत किया आपने,
देश की पहली जनक्रांति,
की नींव रखी आपने।


दुष्यंत की नजर से,
एक बूढ़ा आदमी थे आप,
लेकिन अंधेरी कोठरी में,
एक रोशनदान थे आप।


अहमन्य सत्ता की हनक के आगे,
डटा रहा आपका निडर संकल्प,
लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए,
लड़ रहे योद्धाओं के लिए,
सदैव एक सात्विक प्रकाश,
रहेगा आपका संकल्प।


आज भी आपकी जरूरत है,
देश को एक सच्चे नेता की,
आज भी आपकी जरूरत है,
देश को एक संपूर्ण क्रांति की।


✍️  रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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