सही फासला
सही फासला
सूरज और धरती के बीच है
एक सही फासला
जिससे मिलती है हर सुबह
जीवन को उजाला
गर ज़रा भी पास आए
तो सब जल जाएगा
गर ज़रा भी दूर जाए
तो सब ठंडा पड़ जाएगा
यही है सही फासला
प्यार का, मोहब्बत का
जिससे बनी है ये दुनिया
सौंदर्य और उल्लास का
जिस तरह सूर्य और धरती
एक दूसरे को देखते हैं
उसी तरह हम भी
एक दूसरे को देखें
और बनाये रखें
इस फासले को सही
ताकि हमेशा रहे
हमारा ये रिश्ता निभा
इस कविता में, कवि प्रेम और मोहब्बत के सही फासले की बात करता है। वह कहता है कि प्रेम और मोहब्बत में भी एक सही फासला होना चाहिए। अगर प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे के बहुत करीब आ जाएं, तो उनका प्रेम जल जाएगा। और अगर वे एक दूसरे से बहुत दूर हो जाएं, तो उनका प्रेम ठंडा पड़ जाएगा।
कवि कहता है कि प्रेम और मोहब्बत का सही फासला वही है, जिससे दोनों को प्यार और सम्मान मिलता रहे। यह फासला ऐसा होना चाहिए, जिससे दोनों को एक दूसरे की जरूरत महसूस हो, लेकिन वे एक दूसरे की स्वतंत्रता भी न छीन सकें।
कवि इस बात पर भी जोर देता है कि प्रेम और मोहब्बत का सही फासला बनाये रखना बहुत जरूरी है। अगर हम इस फासले को नहीं बनाये रखेंगे, तो हमारा प्रेम और मोहब्बत खत्म हो जाएगा।
कवि इस कविता के माध्यम से यह संदेश देता है कि प्रेम और मोहब्बत एक खूबसूरत रिश्ता है, लेकिन इसे निभाने के लिए सही फासले का होना बहुत जरूरी है।
✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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