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क्षमा का पर्व

क्षमा का पर्व


क्षमा का पर्व आया है,
मन में खुशी छायी है,
आज क्षमा मांगेंगे हम,
सबसे, जिनसे कभी भूल से,


हुआ हो कोई अपराध,
किया हो कोई दर्द,
आज भूल जाएंगे हम,
सबको दिल से माफ कर देंगे।


क्षमा एक महान गुण है,
जो हमें बनाता है महान,
क्षमा से ही दूर होता है,
मन से द्वेष और बैर।


क्षमा से मिलता है शांति,
क्षमा से मिलता है सुख,
क्षमा से मिलता है प्रकाश,
क्षमा से मिलता है सत्य।


आज हम सब मिलकर,
करें क्षमा का संकल्प,
और इस महान पर्व पर,
बने हम सभी क्षमावान।


इस कविता में, कवि ने पर्युषण पर्व के महत्व को दर्शाया है। वह कहता है कि क्षमा एक महान गुण है जो हमें शांति और सुख प्रदान करता है। वह इस पर्व पर सभी से क्षमा मांगने का संकल्प लेता है और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

यह कविता जैन धर्म से संबंधित नहीं है, लेकिन यह क्षमा के महत्व पर आधारित है। यह कविता सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों के लिए प्रेरणादायी हो सकती है।


✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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