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पुल के खंभे


पुल के खंभे


पुल के खंभे, दो दूरी के बीच,
कभी न मिल पाते एक दूसरे से,
पर फिर भी, वे एक साथ रहते हैं,
एक ही मकसद के लिए।

वे एक दूसरे को सहारा देते हैं,
और एक दूसरे को मजबूत करते हैं,
ताकि पुल खड़ा रहे,
और लोग एक दूसरे से मिल सकें।

पुल के खंभों का प्यार,
एक अनूठा प्यार है,
जो कभी खत्म नहीं होता,
और हमेशा बना रहता है।


पुल के खंभे, दो अलग-अलग किनारों को जोड़ते हैं, लेकिन वे कभी एक दूसरे को नहीं छू पाते। फिर भी, वे एक साथ खड़े रहते हैं और एक दूसरे को सहारा देते हैं। उनका प्यार एक अनूठा प्यार है, जो कभी खत्म नहीं होता।

यह कविता, दो अलग-अलग लोगों के बीच के प्यार का प्रतीक है। वे कभी एक दूसरे के साथ नहीं हो सकते हैं, लेकिन फिर भी, वे एक दूसरे के लिए प्यार करते हैं और एक दूसरे को सहारा देते हैं। उनका प्यार एक मजबूत और स्थायी प्यार है।


✍️  रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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