करो ना, करो ना,करो ना
करो ना, करो ना,करो ना
करो ना, करो ना, करो ना, ।
एक मीटर की दूरी से नमस्ते करो ना ।।
तुलसी घर के आँगन में रहती थी।
दादी नहाने के बाद सबसे पहले तुलसी को जल देती थी।
तुलसी को हटा झलबैरे को लगा ने लगे।
घर की पवित्रता व अपने इम्यून सिस्टम को बर्बाद करने लगे।
पढ़ लिखकर अब तो तुलसी के महत्त्व को समझो ना ।
करो ना, करो ना --------
घी का दीपक घर के दरवाजे पर जलता था।
घर के साथ साथ पड़ोस को भी शुद्ध करता था ।
इस दीपक को हटा बल्ब टिमटिमाने लगे।
घर के साथ वातावरण को गरमाने लगे।
गुग्गल, घी, कपूर के पर्यावरण को शुद्ध करने के महत्त्व को समझो ना
करो ना, करो ना -----
द्वार पर एक नीम का पेड़ होता था।
जड़, तना, पत्तियों से पूरे शरीर का इलाज होता था ।
बड़ी बड़ी बिल्डिंगे लहराने लगी।
नीम की पत्तियाँ भी मुरझाने लगी।
प्राण दायिनी इन पौधों के महत्व को समझो ना ।
करो ना, करो ना --------
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान और ध्यान होता था।
तन और मन दोनों का प्रतिरक्षा मजबूत होता था।
सूर्योदय के बाद सोकर उठने लगे।
उठते ही बेड टी लेने लगे।
योगासन, ध्यान, प्राणायाम के महत्व को अब तो समझो ना।
करो ना, करो ना -------
स्वच्छता में ईस्वर का वास होता था।
इसी बहाने सब कुछ साफ होता था।
हाथ से हाथ मिलाने लगे।
कोरोना को दुनिया भर में फ़ैलाने लगे
नमस्ते के महत्व को अब तो समझ लो ना।
करो ना, करो ना-------
भारतीय परंपरा थी विश्व में सबसे अच्छी।
दुनिया जिसे विश्व गुरु थी कहती।
पाश्चात्य सभ्यता से हम बहकने लगे।
नारियों को अधनंगा कर मॉडर्न कहलाने लगे।
अपनी धर्म, संस्कृति, सभ्यता को फिर से समझ लो ना।
करो ना, करो ना ,करो ना।
एक मीटर की दूरी से नमस्ते करो ना।
ब्रजेश कुमार द्विवेदी
प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय
कोइलिहा बलरामपुर
Very nice line sir
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