Breaking News

कड़वा सच

कड़वा सच

धनवे खातिर मारामारी,
बाकी सब बेकार बा।
जहांँ तनिको ना लहल,
उ नाता अब बेजार बा।।

केके कहबऽ आपन,
के अब आन बा।
जवले स्वारथ लागल बा,
तवले तोहार मान बा।।

भले धन बढ़ल बा,
विचार के आज गरीबी बा।
जेकर पऊवा बड़ दिखे,
सभे ओकर करीबी बा।।

पत्थर के इमारत बनल,
मरघट में ईमान बा।
भाई-बंधु के खबरे नाहीं,
तनहा हर इंसान बा।।

ठौर-ठिकाना एक ही,
दिल के दिल्ली दूर बा।
प्रीति के रीति रास न आवे,
अहं में सभे चूर बा।।

प्यार के चासनी सूखि गईल,
खाली घमासान बा।
जहांँ एक-दूजे में प्यार न होखे,
उ घर नाहीं श्मशान बा।।

    
✍️अलकेश मणि त्रिपाठी "अविरल"(सoअo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
जनपद- देवरिया (उoप्रo)

कोई टिप्पणी नहीं