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कोरोना

जागरूकता गीत
कोरोना के द दूर भगाई हो

ई कइसन रोग धराइल,
कोरोना गईले आईल।
ई बात समझ ना आईल,
कईसे ई बढ़त जाई।
महामारी से दुनिया घबड़ाई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।

बतिया सुन ल बिरनवा,
मीट माँस के छोड़ा ध्यनवा।
सादा भोजन दाल चावल रोटी खईहा,
कच्चा माँस के घर में नाही लईहा।
बच पईबा जे करबा साफ सफाई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।

साबुन से धोईहा हथवा,
संक्रमित के नाही रहिया सथवा।
सेनेटाइजर के करिहा प्रयोग,
और डिटॉल के करिहा उपयोग।
वायरस तोहरे न नजदीक आई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।

खाये के पहिले साबुन से धो लिहला हाथ,
शौच करे के बाद लेबा हथवा के माँज।
नाही त वायरस बढ़ जाई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।

कहत बाड़े तोहसे दीपक,
खाँसी छींक हवे उद्दीपक।
खाँसी जब आवे मुँह के ढ़कीहा,
मुँह पे रुमाल रखके भैया तू खंसिहा।
एहि तरीके से सब बच जाई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।

कोशिश करिहा घर से बहरे बहुते कम जईहा,
बासी भोजन भैया बिलकुल नाही खईहा।
मीट माँस से पीछा ल छोड़ाई हो,
कोरोना के द दूर भगाई हो।


रचयिता
दीपक कुमार यादव (स•अ•)
प्रा वि मासाडीह
महसी बहराइच
मो 9956521700

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