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लॉक डाउन

लॉक डाउन

(आज इस वैश्विक महामारी के उन्मूलन में हम सभी को सांस्कृतिक व सामाजिक अखंडता में आबद्ध होकर अपनी सनातनी प्रकृति का परिचय देना होगा।
यह एकांतवास ही इसकी एकमात्र औषधि है।
#StayAtHome)



जब क़हर ये शहर-दर-शहर,
वीरानियांँ ही इसकी दवा है।
सर्द झोकों से खुद को बचा लें,
तो आगे बसंती हवा है।।

परिंदा भी तूफ़ान से कब टकराया,
बवंडर के थमने का इंतजार किया है।
उजड़े दरख़्त ने कब हलचल मचाया,
सुबह-ए-बसंत का इंतजार किया है।।

धरु धीर धरा पर डटे रहो,
ये गर्दिश के लमहे गुजर जायेंगे।
संयम की डोरी अभी बांँध लो,
इक दिन हम इससे उबर जायेंगे।।



✍️अलकेश मणि त्रिपाठी "अविरल"(सoअo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
जनपद- देवरिया (उoप्रo)

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