Breaking News

जाने कैसा ये बदलाव

कितना सुन्दर गाँव हमार,
सबसे सबकी राम जुहार।
पर उल्टी अब चली बयार,
घटतै  जात  प्रेम  ब्यौहार।
कक्का  दादा  माई   बाप,
सम्मुख है बस आपै आप।
हृदय   बसे  गहरे   संताप,
न कोइ  भैया न कोइ बाप।
छल-परपंच रचैं सरपंच,
लाज न आवै उनको रंच।
गाँव प्रधान  लड़ावैं  जाम,
करैं न उइ धेला भर काम।
ताल-तलैया औ चौपाल,
नारि-नर्दहा  सब  बेहाल।
रोजै  झगड़ा रोज बवाल,
अब है यहै गाँव का हाल।
जाने कैसा ये बदलाव,
उल्टा पूरा लगै बहाव।
प्रभु से विनती यहै हमार,
सद्बुद्धी  दो  कृष्ण-मुरार।
रचना- निर्दोष दीक्षित
______________________________
काव्य विधा- चौपई छंद
चौपई छंद- चार चरणों का सम मात्रिक छंद, प्रत्येक चरण में 15 मात्रायें। चरणान्त गुरु लघु(21) से।
इस छंद का एक और नाम जयकरी या जयकारी छंद भी है।

कोई टिप्पणी नहीं