नये का आना...
नए का आना, पुराने का जाना
फ़िर वही तराना, फ़िर वही तराना
फ़िर वही तराना, फ़िर वही तराना
कुछ सुन लूँ..... कुछ सुना लूँ
गीत वही फ़िर से, आज गुनगुना लूँ
वफ़ा के बदले क्यूँ वफ़ा नहीं मिलती
मेरे हाथों किसी को शिफ़ा नहीं मिलती
जो आरज़ू है, वो क्यूँकर नहीं होता
दुवाओं का मेरी क्यूँ असर नहीं होता
क्यूँ दिल किसी के शिगाफ़ हैं
किसी के हज़ार गुनाह माफ़ हैं
क्यूँ दामन किसी का तार-तार है
आज इंसानियत शर्म-सार है
बदला तो बस साल बदला
न मंज़र बदला न हाल बदला
क्या दुआ करूँ, क्या फ़रियाद करूँ?
क्या जश्न हो, क्या मुबारकबाद करूँ?
फ़िर भी आपको न दर्द हो, न मलाल रहे
इसलिए कहता हूँ, ये साल ख़ुशहाल रहे.....
रचना- निर्दोष दीक्षित
हमको पेंट कर रिये? शायद नए बाल उगा रिये?
जवाब देंहटाएं:o :o :o :o
अबकि पूरे साल हमारा ये हाल रहे ,
जवाब देंहटाएंआपके दिल में भी हमारा ख्याल रहे । cheer