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साथी



बीच सफ़र में साथ छोड़ दे
उस साथी की चाह नहीँ
प्रेम हमारा ऐसा हो
जिसकी कोई थाह नहीँ
बाहे जिसकी घर बन जाए
बातें जिसकी खजाना हों
प्यार का इक शब्द उसका
जैसे के नज़राना हो
कर्म धर्म की राह छोड़ दे
उस साथी की चाह नही
प्रेम हमारा ऐसा हो
जिसकी कोई थाह नही

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