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नशा सा हुआ



नशा सा हुआ है तुझे देखके यूँ, 
सुरापान जैसे कि मैंने किया है।

बुरा काम तूने किया है सुनैना,
ख़ुदारा हमारा चुराया जिया है।
मुझे प्यार से देखिये आप भी तो,
खड़ा सामने ये तुम्हारा पिया है।

ख़ुदा की यही आज मर्ज़ी तभी तो, 
वफ़ा का दिलों में जलाया दिया है।

रचना- निर्दोष दीक्षित


काव्य- महाभुजंगप्रयात सवैया

शिल्प- 8 यगण चार चरण,प्रत्येक चरण में 24 वर्ण
          {( 122)8}4
          12-12 वर्ण पर यति

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