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खट्टा-मीठा ये ही जीवन

अपनों के शर होंगे यारों
अपना ही सीना होगा।
जीवन की संघर्ष डगर में,
निज ख़ून-पसीना होगा।
मर मिटने वाले तो कोई
ख़ुदगर्ज़ कमीना होगा।
कंकड़ पत्थर में भी कोई
अनमोल नगीना होगा।
कुछ पल ग़म के जीवन में तो
ख़ुशी का महीना होगा।
विष मिले या अमृत का प्याला,
पीना  है - पीना  होगा।
खट्टा मीठा ये ही जीवन
जीना  है - जीना  होगा।


रचना- निर्दोष दीक्षित

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