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पिछला सब कुछ .......

पिछला सब कुछ
भुला दे रहा हूँ
मैं ज़ख्मों को अपने
छुपा दे रहा हूँ
बीती बातें अकेले में कचोटती हैं मुझको
मैं सच सच तुम्हे सब
बता दे रहा हूँ।
पन्ने भी घायल हो जाते हैं
जब यादों की स्याही बिखरती है उनपर

मैं दर्द बने एक-एक हर्फ़ को
दवा दे रहा हूँ
पिछला सब कुछ
भुला दे रहा हूँ।
दिल के कोने में छुपा है जो
यादों का समंदर
बातों का बे-बातों का बवंडर
मैं उन्हें निकालकर
बहा दे रहा हूँ
पिछला सबकुछ
भुला दे रहा हूँ।
सब आईने से डरते फिरते हैं
मुझे उसी की तलाश है
कोई आईना गर बन के आये
मैं असल सूरत अपनी
दिखा दे रहा हूँ
पिछला सब कुछ
भुला दे रहा हूँ।


   -पूजा तिवारी

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