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वासंती मुक्तक

बसंती हो गया मौसम, सुनो ऋतुराज आया है
हवा ने छेड़ दी सरगम, सुनो ऋतुराज आया है
सुहानी भोर है, तो और मतवाली हुई संध्या
नशीली हो गई शबनम, सुनो ऋतुराज आया है
रचनाकार- पुष्पेन्द्र यादव

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