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अमिट पहचान

 अमिट पहचान
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जीवन की इस कठिन डगर को,
अन्तर्मन ही जानें।
सभी रंग हैं एक ही जैसे,
।। कौन किसे पहचाने ।।
सागर का हर एक किनारा,
खींचे अपनी ओर।
चाहें मन भी सैर सपाटा,
लहरों की उज्ज्वल डोर।
कौन डुबोए कौन उबारे,
कश्ती भी कैसे जाने।
सभी रंग हैं एक ही जैसे,
।। कौन किसे पहचाने।।
मेले की इस चहल पहल में,
मनभावन भरमाता है।
जीवन के इस रंगमंच पर,
कलाकारों की काया है।
हाथ थाम के सही चले हैं,
पथिक भी कैसे माने।
सभी रंग हैं एक ही जैसे,
।। कौन किसे पहचाने।।
दुनिया यूं जो बेगानी है,
द्वेष का जो मंझधार है।
अगर बुलाए मन की वाणी, 
संदेह सभी बेकार है।
सही गलत और 'प्रीत' रीत की,
खुद ही मिलकर जाने।
सभी रंग हैं एक ही जैसे।
।। कौन किसे पहचाने ।।

✍️
प्रीति जाटव(शिक्षिका)
जनपद-जालौन 

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