"शिक्षक का दायित्व"
""शिक्षक का दायित्व""
शिक्षक का दायित्व कहां पूर्ण होता है,
अनवरत , अविराम ये चलन में रहता है,
भोर की किरणों सा कर्तव्य शुरू होता है,
विद्यालय के प्रांगण में ये परिपक्व होता है।
नींव इमारत को जैसे दृढ़ता देती है,
अडिग , अविचल खड़ा उसको रखती हे,
शिक्षक भी भविष्य की बुनियाद बनाता है,
प्रेरक विचारों से बच्चों का मन सजाता है।
शिक्षक वही जो बच्चों का मन जाने,
उसकी अंतर्निहित शक्तियों को पहचाने,
प्रत्येक बच्चा अलग है श्रेष्ठ है,
आइये उसके व्यक्तित्व की पहले माने।
नित नए प्रयोग से उन्हें परिचित कराना है,
प्रेरणा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते जाना है,
पुस्तक ही नहीं एकमात्र तरीका है,
आसपास के वातावरण से जोड़कर भी सिखाना है।
हर परिस्थिति का सामना करें डटकर,
पलायन का विकल्प न हो उनके अंदर,
शिक्षा वही जो जीवन जीना सिखाए,
शिक्षक के कर्तव्य की गरिमा को बढ़ाएं।
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नम्रता श्रीवास्तव (प्रoअo)
जनपद-बाँदा
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