कल और आज
कल और आज
कहाँ गया वह धोती कुर्ता छाता छड़ी सलोनी।
खूब पढ़ाते थे मुंशी जी हमने सुनी कहानी।।
अद्धा पौना डेढ़ा पौवा ढउचा और सवाई।
रत्ती मासा धरा पसेरी तोला अउर अढ़ाई।।
बदी कबड्डी गुढ़ा सुटूरा भूलि गया इंशान।
शिव ताण्डव पर पीटी कइके बने पुलिस कप्तान।।
पैट शर्ट टी शर्ट जीन्स का अइसन आइ जमाना।
दाढ़ी मूँछ सफाचट कइके तब स्कूल में जाना।।
सरस्वती के रूप में मास्टरनी लगवाय गयी हैं।
छोड़ि के साड़ी साया ब्लाउज जींस में आइ रही हैं।।
चश्मा फैशन एक फिट्टा छाता नकाब डकैत वाला।
टच स्क्रीन के बिना काम अब नही है चलने वाला।।
पाँच किलो का बस्ता उसमे थाली गिलास घुसेरी।
प्रार्थना कइके बैठ जात हैं ध्यान रसोईं ओरी।।
ऊपर से वंजा टूजा कइ अइसन आइ पढ़ाई।
गिनती पहाड़ा भूलि रहे सब टेबल नम्बर सुनाई।।
कपड़ा जूता झोला किताब खाना मुफ्त में पायी
दुइ के दस हम पैदा कइके देश का नाम बढ़ायी।।
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शेष मणि शर्मा'इलाहाबादी'
प्रा०वि०बहेरा
वि०खं०-महोली
जनपद सीतापुर उत्तर प्रदेश
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