"सपने में आया कोरोना"
"सपने में आया कोरोना"
सपने में आज कोरोना आया,
भंयकर तुमने मुझे बताया,
काम स्वयं बुरे करते हो,
दोष सारा मुझको देते हो |
अपने ही भाई को धोखा देते,
पापियों की जय-जयकार करते,
स्वार्थ के साथ हो लेते हो,
सरल को तो लूट ही लेते हो |
प्राणियों की हिंसा करते तुम,
नदी-नालों पर चाट खाते तुम,
कितना संग्रह करते तुम,
गरीबों का भी खाते तुम |
मै तो बस तुम्हारी करनी हूं,
जैसा करा वैसी भरनी हूं,
सरल जीवन जो अपनाएगा,
तो मुझे कहीं न पाएगा |
मुझे कहीं का न पाएगा ||
रचयिता
प्रतिभा भारद्वाज (स०अ)
पू०मा०वि०वीरपुर छबीलगढ़ी
अलीगढ़
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