रिश्ते सब बेमानी हैं
जिसने आधा जीवन पाला
दे न पाए उसे निवाला
देख बहुत हैरानी है।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
दे न पाए उसे निवाला
देख बहुत हैरानी है।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
बेटे बिन बेहाल हो गयी
माँ तो अब कंकाल हो गयी
औलादे शैतानी हैं।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
माँ तो अब कंकाल हो गयी
औलादे शैतानी हैं।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
सम्बन्धों पर अर्थ है हावी
क्या सीखेगी पीढ़ी भावी
अपने हुए गुमानी है।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
क्या सीखेगी पीढ़ी भावी
अपने हुए गुमानी है।
रिश्ते सब बेमानी हैं।।
रचयिता
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
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