हमको तो अधिपति पर नाज
हमको तो अधिपति पर नाज ।
करवा चौथ का व्रत है आज ।।
करवा चौथ का व्रत है आज ।।
एक बरस की अवधि के बाद
आया अरुण दिवस ये ख़ास ।
करेंगें पूजा जीवन साथी की
उनकी खातिर है उपवास ।।
हर सुहागिन का जो व्रत है ।
सम्मान भाव में जो सेवारत है ।
सजाके फल- फूल, मिष्ठान, उपहार ।
करके अपना सोलह श्रृंगार ।।
गणेश, कार्तिकेय हैं शुभदाता ।
रक्षा करें अहोई करवा माता ।।
लक्ष्मी रूप में बनी रहूँ ।
प्रेम रंग मे सनी रहूँ ।।
धरती के ये चाँद ,पुकारे ।
पिय की हम आरती उतारें ।।
छंट जाए अब निशा की बदरी ।
दीप संग खुश दिल की नगरी ।।
आ गयी छत पर तेरे बहाने ।
कब आओगे दरश दिखाने ।।
दिख गया नभ में उजला चाँद ।
मिला अमर प्रेम का आशीर्वाद ।
प्रिय स्वामी तुम हो सूरज तारा ।
अमर रहे यह सुहाग हमारा ।।
हमको तो अधिपति पर नाज ।
करवाचौथ का व्रत है आज ।।
आया अरुण दिवस ये ख़ास ।
करेंगें पूजा जीवन साथी की
उनकी खातिर है उपवास ।।
हर सुहागिन का जो व्रत है ।
सम्मान भाव में जो सेवारत है ।
सजाके फल- फूल, मिष्ठान, उपहार ।
करके अपना सोलह श्रृंगार ।।
गणेश, कार्तिकेय हैं शुभदाता ।
रक्षा करें अहोई करवा माता ।।
लक्ष्मी रूप में बनी रहूँ ।
प्रेम रंग मे सनी रहूँ ।।
धरती के ये चाँद ,पुकारे ।
पिय की हम आरती उतारें ।।
छंट जाए अब निशा की बदरी ।
दीप संग खुश दिल की नगरी ।।
आ गयी छत पर तेरे बहाने ।
कब आओगे दरश दिखाने ।।
दिख गया नभ में उजला चाँद ।
मिला अमर प्रेम का आशीर्वाद ।
प्रिय स्वामी तुम हो सूरज तारा ।
अमर रहे यह सुहाग हमारा ।।
हमको तो अधिपति पर नाज ।
करवाचौथ का व्रत है आज ।।
रचयिता
अरुण कुमार यादव,
उ0प्रा0वि0 बरसठी, जौनपुर |
मो0 9598444853
अरुण कुमार यादव,
उ0प्रा0वि0 बरसठी, जौनपुर |
मो0 9598444853
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