दीपावली आयी
चिराग़ रोशन करो
कि दीपावली आयी।
फ़लक पर आफ़ताब भी आज रोशन हैं
कि दीपावली आयी।
कि दीपावली आयी।
फ़लक पर आफ़ताब भी आज रोशन हैं
कि दीपावली आयी।
चिराग़ रोशन करो
कि दीपावली आयी।
महक़ उठा ग़ुलशन
कि दीपावली आयी।
बुझा दो चिराग़ नफरतों के
कि दीपावली आयी।
चिराग़ रोशन करो
कि दीपावली आयी।
दिलों में सजाओं रोशनी के चिराग़
कि दीपावली आयी।
मुश्कान आई रुख़्सार पर
कि दीपावली आयी।
चिराग़ रोशन करो
कि दीपावली आई।
लबों पर मिठास लाओ
कि दीपावली आयी।
अश्क़ पर सितारे भी चहक उठे
कि दीपावली आयी।
जल उठी फुलझड़ी छूटे बम
कि दीपावली आयी।
ज़मी के सितारे भी आज खुश हैं
कि दीपावली आयी।
चिराग़ रोशन करो
कि दीपावली आयी।
रचयिता
अब्दुल्लाह खान(स0अ0)
प्रा0वि0बनकटी,
बेलघाट, गोरखपुर।
प्रा0वि0बनकटी,
बेलघाट, गोरखपुर।
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