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क्या मतलब रह जाएगा

क्या मतलब रह जाएगा?

मर्दन यदि कर ना सके,
अपने अहंकार का ।
क्या मतलब रह जाएगा,
खुशियों के त्योहार का।

तिमिर तरुण होता गया,
तेरे कोमल हृदय में।
क्या मतलब है जलाने का,
दिया अपने निलय में ।

वर्तिका भी रो पड़ी ,
तूने जो जलाई थी।
हर सकेगी तिमिर हृदय का,
यही आस लगाई थी।

जलाती रही उस तेल को,
जो उसका तन–मन–धन था।
जन्म दिया उस ज्योति को,
जो तेरा प्रयोजन था।

तेरा घर आलोकित कर,
ज्योति ने आस जगाई थी।
धीरे से दिल का तेरे,
दरवाजा भी खटखटाई थी।

पर तू निकला नादान,
समझ ना पाया ज्योति को।
फिर  अहंकार ने तेरे,
ठुकरा दिया उस मोती को।

तेल जल गया,
बेसहारा वर्तिका जली।
आखिरकार तुझ पर,
ज्योति भी मिट चली।

कलेजे पर पत्थर रखकर,
दिया सब कुछ सह गया।
तेरे मन का अंधेरा,
अंधेरा ही रह गया।

बिखेर डालो प्रकाश चहुंओर,
प्रेम और खुशहाली का।
वरना क्या मतलब रह जाएगा,
इतनी बड़ी दीवाली का।

लेखक     
दुर्गेश्वर राय
सहायक अध्यापक
विकास क्षेत्र -उरुवा, जनपद -गोरखपुर 
मोबाइल नंबर 8423245550 
ईमेल - durgeshwarraigmail.com

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