मास्टर साहब की शिकायत
प्राइमरी के मास्टर साहब अभिभावक सम्पर्क के दौरान कालू के घर पहुंचे जो पिछले 1 महीने से स्कूल नहीं आया था। सौभाग्य से आज कालू के बापू छेदीलाल घर पर थे किन्तु उसकी अम्मा मजदूरी करने गयी थीं।
छप्पर के बाहर खड़े होकर मास्टर साहब ने आवाज लगाई-
मास्टर : कालू.......(सन्नाटा),कालू.......(सन्नाटा),छेदीलाल.....(सन्नाटा),छेदीलाल.......।
छेदीलाल : (भारी किन्तु लड़खड़ाती आवाज में) कउन है ?
मास्टर : थोड़ा बाहर आइयेगा, हम कालू के मास्टर बोल रहे हैं।
छेदीलाल : (भारी,लड़खड़ाती किन्तु गुर्राहट भरी आवाज ) कउन मास्टर ? तुम अंदर आओ।
(मास्टर साहब थोड़ा सहम गये,मन किया कि अब लौट जाएं किन्तु उनके साथ कक्षा 5 के दो बच्चे थे। यदि लौट जाते तो उनकी नजरों में डरपोक साबित हो जाते फिर वह दोनों पूरी कक्षा में डरपोक साबित कर देते, इसलिए हिम्मत कर गन्दी, धुएँ से काली हुई आधी उजड़ी झोपडी में घुसे।
छेदीलाल, केवल 15 अगस्त, 26 जनवरी और ड्रेस वितरण के दिन जाने वाले लड़के-गब्बर के पिता बहोरन के साथ लोटे की कच्ची दारु गिलास में उड़ेल रहा था। बगल में एक तरफ दो गड़ासे रखे हुए थे, दूसरी तरफ दो लाठी। मास्टर साहब दबे पांव वापस जाने को मुड़े , तभी.....)
छेदीलाल : रुको मास्टर, का बात है ? कइसे आये तुम ?
मास्टर : ( पसीने में तर-बतर थे,धीमी आवाज में...) वो कुछ नहीं,कालू स्कूल नहीं आया था।
छेदीलाल : कालू स्कूल जातो कहाँ ? ऊ तो रोज गब्बर के साथ ताश खेलत, जुआ खेलत, बीड़ी पियत और गांजा पियत है। तुम स्कूल में करते का हो ? पकड़ के लइ जाव स्कूल। मक्कार रोज हमका गाली देत्त। तुम अगर पकड़के नहीं लइ जाओगे तो हम तुम्हारी शिकायत कर देंगे अधिकारी से कि तुम ठीक से पढ़ाते नहीं इसलिए बच्चे जाते नहीं।
मास्टर साहब आये तो थे कालू की शिकायत करने कि वह स्कूल नहीं आता, उल्टे मास्टर साहब की ही शिकायत होने लगी कि मास्टर बच्चों को बुला नहीं पाते वो भी धमकी के साथ। छेदीलाल उकड़ूं बैठा हुआ था दोनों हाथ जमीन पर टिकाकर उठने को हुआ तो उसका एक हाथ गड़ासे पर और दूसरा लाठी पर पड़ा ( मास्टर साहब ने समझा कि वह गड़ासा और लाठी उठा रहा है)। पीकर वह टल्ली था इसलिए गिर पड़ा, मास्टर साहब मौके का फायदा उठाये और फौरन निकल लिए।
लेखक
मनीराम मौर्य
उ0प्रा0वि0 हरिवंशपुर,
वि0क्षे0-पौली, जनपद-संत कबीर नगर
छप्पर के बाहर खड़े होकर मास्टर साहब ने आवाज लगाई-
मास्टर : कालू.......(सन्नाटा),कालू.......(सन्नाटा),छेदीलाल.....(सन्नाटा),छेदीलाल.......।
छेदीलाल : (भारी किन्तु लड़खड़ाती आवाज में) कउन है ?
मास्टर : थोड़ा बाहर आइयेगा, हम कालू के मास्टर बोल रहे हैं।
छेदीलाल : (भारी,लड़खड़ाती किन्तु गुर्राहट भरी आवाज ) कउन मास्टर ? तुम अंदर आओ।
(मास्टर साहब थोड़ा सहम गये,मन किया कि अब लौट जाएं किन्तु उनके साथ कक्षा 5 के दो बच्चे थे। यदि लौट जाते तो उनकी नजरों में डरपोक साबित हो जाते फिर वह दोनों पूरी कक्षा में डरपोक साबित कर देते, इसलिए हिम्मत कर गन्दी, धुएँ से काली हुई आधी उजड़ी झोपडी में घुसे।
छेदीलाल, केवल 15 अगस्त, 26 जनवरी और ड्रेस वितरण के दिन जाने वाले लड़के-गब्बर के पिता बहोरन के साथ लोटे की कच्ची दारु गिलास में उड़ेल रहा था। बगल में एक तरफ दो गड़ासे रखे हुए थे, दूसरी तरफ दो लाठी। मास्टर साहब दबे पांव वापस जाने को मुड़े , तभी.....)
छेदीलाल : रुको मास्टर, का बात है ? कइसे आये तुम ?
मास्टर : ( पसीने में तर-बतर थे,धीमी आवाज में...) वो कुछ नहीं,कालू स्कूल नहीं आया था।
छेदीलाल : कालू स्कूल जातो कहाँ ? ऊ तो रोज गब्बर के साथ ताश खेलत, जुआ खेलत, बीड़ी पियत और गांजा पियत है। तुम स्कूल में करते का हो ? पकड़ के लइ जाव स्कूल। मक्कार रोज हमका गाली देत्त। तुम अगर पकड़के नहीं लइ जाओगे तो हम तुम्हारी शिकायत कर देंगे अधिकारी से कि तुम ठीक से पढ़ाते नहीं इसलिए बच्चे जाते नहीं।
मास्टर साहब आये तो थे कालू की शिकायत करने कि वह स्कूल नहीं आता, उल्टे मास्टर साहब की ही शिकायत होने लगी कि मास्टर बच्चों को बुला नहीं पाते वो भी धमकी के साथ। छेदीलाल उकड़ूं बैठा हुआ था दोनों हाथ जमीन पर टिकाकर उठने को हुआ तो उसका एक हाथ गड़ासे पर और दूसरा लाठी पर पड़ा ( मास्टर साहब ने समझा कि वह गड़ासा और लाठी उठा रहा है)। पीकर वह टल्ली था इसलिए गिर पड़ा, मास्टर साहब मौके का फायदा उठाये और फौरन निकल लिए।
लेखक
मनीराम मौर्य
उ0प्रा0वि0 हरिवंशपुर,
वि0क्षे0-पौली, जनपद-संत कबीर नगर
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