राम - रहीम की होली
दौड़ के जब राम ने,
लगाया रहीम के रंग।
ले आया फिर वह पिचकारी,
होली खेली मिलकर संग।
देख राम रहीम की होली,
रह गए दुश्मन सारे दंग।
माथे पर खिंच गयी लकीरें,
दोनों का प्रेम देखकर हुए तंग।
ले गए बुलाकर दोनों को,
सिखाने लगे नफरत का ढंग।
दोस्ती थी पक्की दोनों की,
जमकर करी दुश्मनों से जंग।
देख शक्ति दोस्ती की भागे,
जो चाहते थे रंग में भंग।
राम रहीम अब है प्रसन्न,
दौड़ा रहे सौहार्द का तुरंग।
यही एकता है भारत की,
तिरंगा भरता नभ में तरंग।
जय हिंद जय भारत
रचयिता
आमिर फ़ारूक़
सहायक अध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय औरंगाबाद माफ़ी
विकास क्षेत्र सालारपुर
जनपद बदायूँ
लगाया रहीम के रंग।
ले आया फिर वह पिचकारी,
होली खेली मिलकर संग।
देख राम रहीम की होली,
रह गए दुश्मन सारे दंग।
माथे पर खिंच गयी लकीरें,
दोनों का प्रेम देखकर हुए तंग।
ले गए बुलाकर दोनों को,
सिखाने लगे नफरत का ढंग।
दोस्ती थी पक्की दोनों की,
जमकर करी दुश्मनों से जंग।
देख शक्ति दोस्ती की भागे,
जो चाहते थे रंग में भंग।
राम रहीम अब है प्रसन्न,
दौड़ा रहे सौहार्द का तुरंग।
यही एकता है भारत की,
तिरंगा भरता नभ में तरंग।
जय हिंद जय भारत
रचयिता
आमिर फ़ारूक़
सहायक अध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय औरंगाबाद माफ़ी
विकास क्षेत्र सालारपुर
जनपद बदायूँ
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