बढ़ता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
ये ज़िन्दगी एक जंग है
तू इससे लड़ता चल
ये ज़िन्दगी एक जंग है
तू इससे लड़ता चल
ठहरा हुआ पानी
किसी काम नहीं आये
रुकने वाला कभी
मंज़िल नहीं पाए
तू बहती नदिया बनके
बहता चल
किसी काम नहीं आये
रुकने वाला कभी
मंज़िल नहीं पाए
तू बहती नदिया बनके
बहता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
ये ज़िन्दगी एक जंग है
तू इससे लड़ता चल
बिन मेहनत इंसा
कुछ भी नहीं पाए
आसमान की बुलंदी छू
नहीं पाए
तू अपने हौसलों से
उड़ान भरता चल
कुछ भी नहीं पाए
आसमान की बुलंदी छू
नहीं पाए
तू अपने हौसलों से
उड़ान भरता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
ये ज़िन्दगी एक जंग है
तू इससे लड़ता चल
मन के हारे कभी कोई
जीत नही पाए
कोशिश बिन कभी कोई
कुछ नहीं पाए
तू अपने हाथों से तक़दीर
लिखता चल
जीत नही पाए
कोशिश बिन कभी कोई
कुछ नहीं पाए
तू अपने हाथों से तक़दीर
लिखता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
ये ज़िन्दगी एक जंग है
तू इससे लड़ता चल
रचयिता
अनुराधा प्लावत
स0अ0, उ०प्रा०वि०झरौठा,
बल्देव
मथुरा उ०प्र०
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