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बेटी

ईश्वर का वरदान है बेटी
गीता और कुरान है बेटी
खुशियों की है खान मगर क्यूँ,
ढूंढ रही पहचान है बेटी ।।

नदियों का संगम है बेटी
नही बेटों से कम है बेटी,
मुस्कान बसी अधरों में पर
फिर आँखे क्यूँ नम है बेटी।।

सब धर्मों का सार है बेटी
प्रकृति का उपहार है बेटी,
नाम कर रही हर पल रोशन
सबसे बड़ा श्रृंगार है बेटी ।।

माँ का होती अरमान है बेटी
पापा का अभिमान है बेटी,
आँगन की फुलवारी है ये
देती सबको सम्मान है बेटी।।

पायल की छन छन है बेटी
खुशियों का कण कण है बेटी,
शिक्षा और संस्कार मिले तो
बेटों से  बढ़ कर है बेटी।।

मन सपनों का संसार है बेटी
दुर्गा का अवतार है बेटी ,
मानव का अस्तित्व तुझी से ,
स्नेह, ममता ,प्यार है बेटी ।।

रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन 
विकास क्षेत्र बावन 
हरदोई


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